वृंदा-विष्णु लांवा फेरे

धुन: रेश्मी सलवार ते कुर्ता जाली दा ।

बैठे दोनों सज-धज, नेड़े नेड़े ने।
होंण लगे वृंदा-विष्णु दे फेरे ने॥

इक सांवरा ते इक गोरी।
बड़ी सुन्दर सोहनी जोडी॥

चर्चे इस जोड़ी दे चार चुफेरे ने – होंण लगे….

वृंदा वरमाला पाई।
वृंदा वरयो हरिराई॥

बरसे रंग रस कलियां फुल बथेरे ने – होंण लगे…..

मंगल धुन वेदां गाई।
हर वैदिक रीत निभाई॥

वर वधु ने लए वेदी दे फेरे ने – होंण लगे……

होई शगणां नाल विदाई।
डोली बैकुंठ विच आई॥

गीत ‘‘मधुप’’ दे गूंजे चार चुफेरे ने – होंण लगे….. ।

Author: संकीर्तनाचार्य श्री केवल कृष्ण ❛मधुप❜ (मधुप हरि जी महाराज) अमृतसर

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह