कहे शास्त्र वेद पुराण,महिमा सतसंग की
करे ऋषि मुनी गुण गान,महिमा सतसंग की
सत संग है भव सागर नोका
पार करण का यही है मोका
अवसर चेत अजाण•••महिमा•••
दुःखिया-सुखिया सब ही आवे
जैसा कर्म करे फल पावे
आ है इमृत की खान•••महिमा•••
सत संगत को सुन कर प्यारे
पापी कपटी सुधरे सारे
तज दियो मान गुमान•••महिमा•••
सदानन्द सत संगत करणी
मुख से ना जाए महिमा वरणी
करते हरि गुण गान•••महिमा•••
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