जाणो-जाणो जम्भेश्वर रे धाम,मुक्ती रोअवसर आवियो ।
मिले ना ऐसो अवसर बारम्बार,दर्शन रो अवसर आवियो।।

गुरू जी किया-किया प्रहादा सु कोल,जीवा ने तारण आविया
गुरू जी लियो-लियो लोहट घर अवतार,सखिया ने मंगल गाविया

गुरू जी आये’आये समराथल धाम,बिश्नोई पंथ चलावियो
गुरू जी आए-आए रोटु नगर रे मांय,उमा ने भाॅत भरावियो

राव दूदो आयो गुरू जी रे पास,खांडे सु राज दिलावियो
सदानन्द कहे कर जोङ,भक्ता ने भव सू पार उतारियो।

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