ना मंदिर में रहता ना रहता मकान में,
वाह रे जटाधारी तू तो रहता श्मशान में……

हीरे की माला ना फूलों की माला,
अपने गले में है सर्पों को डाला,
रहता फक्कड़ देव हमने देखा ना जहान में,
वाह रे जटाधारी तू तो रहता श्मशान में……

न तन पर है कुर्ता न तन पर है धोती,
सारे बदन पर है एक लंगोटी,
गंगा सिर पर ना होवे तो आवे ना पहचान में,
वाह रे जटाधारी तू तो रहता श्मशान में……

ना खाए मेवा ना खाए मिठाई,
भांग के नशे में तूने जिंदगी बिताई,
जिसने जो भी मांगा तूने दे दिया दान में
वाह रे जटाधारी तू तो रहता श्मशान में……

ऐसा है देव जो भी मांगो मिलेगा,
जटाधारी बोल दे जो वो ना टलेगा,
ऐसा चमत्कार भोले तेरी है जुबान में,
वाह रे जटाधारी तू तो रहता श्मशान में……

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह