मेरे भोले की बारात चली सज धज के,
सारे ख़ुशी से पागल अज्ज नच नच के,
देखा दूर से तो भूतो का अखाड़ा लगता,
देखो माँ गौरा का लाड़ा कितना प्यारा लगता……

संग में भूत और प्रेत बाराती,
शुक्र शनिचर भी है साथी,
गूंजे बम बम की जैकार,
उड़ती भस्म नज़र है आती,
ढोलक झांझ मंजीरा शंख और नगाड़ा बजता,
देखो माँ गौरा का लाड़ा कितना प्यारा लगता……

पुरे तन पे भस्म रमाये,
गले में नर मुंडो की माल,
माथे चंद्र सजाया इसने,
तन पे बाँघबर का शाल,
जटा है बिखरी, हाथ में डमरू शम्भु प्यारा लगता,
देखो माँ गौरा का लाड़ा कितना प्यारा लगता……

माता गौरा जी के दूल्हे,
माँ गौरा को लगे कमाल,
सखियाँ जलती सारी कहती,
कैसा रूप धरो महाकाल,
भोला नंदी पे सवार बड़ा प्यारा लगता,
देखो माँ गौरा का लाड़ा कितना प्यारा लगता……

Author: Unkonow Claim credit

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