जिसका आदि ना अंत कोई,
जिससे है बडा ना संत कोई,
जिसको कहते कैलाशी है,
जिसके चरणों में काशी है,
जीवन उस को सौंप दिया तो ,फिर है क्या मरना,
महाकाल ने थामा हाथ है तो, फिर काल से क्या डरना……

खुश हो जाए जो भोले, तो मन के आस पुराते हैं,
क्रोध जो आ जाए उनको, फिर प्रलय रूप दिखलाते हैं,
छोड़ दिया सब उसके ऊपर, खुद है क्या करना,
महाकाल ने थामा हाथ है तो, फिर काल से क्या डरना…….

डम डम डमरू वाले शंकर, को बस ध्यान लगाना है,
दुनिया के सुख माया छोड़ के, बस भोले को पाना है,
चरणों के नीचे उनके बस, है हरदम रहना,
महाकाल ने थामा हाथ है तो, फिर काल से क्या डरना…

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