हो गई मेरी बल्ले बल्ले,
नोटो से भर गए गल्ले,
कुछ दिन में सिर उतरा कर्जा का बोझ ये,
एक लोटा एक लोटा,
एक लोटा गंगा जल से आ गई मेरी मौज रे…..

मेरे होंठों पे आया जब से भोले का नाम,
दुनिया की भाग दौड़ से दिल ने पाया आराम,
दर्शन करने को मंदिर जाता में रोज,
एक लोटा,, गंगा जल से आ गई मेरी मौज रे…..

मांथे पे लगा चमकने भोले बाबा का नूर,
पैसों की तंगी मिट गई मुश्किल भी हो गई दूर,
सारी मुश्किल भी मेरी हो गई जमींदोज रे,
एक लोटा,, गंगा जल से आ गई मेरी मौज रे…..

रातों को आने लगे सपने में भोलेनाथ,
जी भर के होने लगी भोले से दिल की बात,
लिखता है राज अनाड़ी शब्दों को सोच रे,
एक लोटा,, गंगा जल से आ गई मेरी मौज रे…..

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह