चंदन चावल बेल की पतिया,
शिव जी के माथे धरो, हे भोलानाथ दिगंबर,
ये दुख मेरे हरो, हरो रे….

अगर चंदन का बश्म चढ़ाउ, शिव जी के पैयाँ पडु,
नंदी उपर स्वार भयो रामा, मस्तक गंगा धरो,
ये दुख मेरे हरो……

शिव शंकर जी को तीन नेत्र हैं, अद्भुत रूप धरो,
अर्धंगी गौरी पुत्र गजानन, चंद्रमा माथे धरो,
ये दुख मेरे हरो…

आसन दाल सिंहासन बैठे, शांति समाधि धरो,
कंचन थाल कपूर की बाती, शिव जी की आरती करो,
ये दुख मेरे हरो…..

मीरा के प्रभु गिरधरनागर चरणो में शीश धरो,
हे भोलानाथ दिगंबर मोरे, ये दुख मोरे हरो,
सब दुख मोरे हरो…..

चंदन चावल बेल की पतिया, शिव जी के माथे धरो,
हे भोलानाथ दिगंबर सब दुख मोरे हरो रे…..

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