भूतनाथ के द्वार पे जो भी,
अपना शीष, झुका देता है,
चिन्ताओं की सारी लक़ीरें,
बाबा भूतनाथ मिटा देता है…….

ज़माने की ठोकरें,
जो खाकर के हारा,
वो इस दर पे आकर,
ना रहता बेचारा,
भूतनाथ से, बढ़के न कोई,
देव है अलबेला,
कोई देव है अलबेला,
उम्मीदों कोआशाओं को
बाबा टूटने ही नहीं देता है…………

मेरा शिव बम भोला बड़ा ही है भोला,
जो मांगो सब देता ऐसा है मस्त मौला,
मालिक तीनों लोकों का है,
फिर भी हैं बैरागी,
भोले फिर भी हैं बैरागी,
रखता चिता की राख़ स्वयं ये,
बाक़ी सबकुछ.ही लुटा देता है…..

गुरू महिपाल जी की
श्रद्धा और भक्ति ने
जगाई इस दर की
अलख ज्योति जग में
कोटि-कोटि नमन करूं महिपाल गुरू जी को
महिपाल गुरू जी को,
इस दरबार में.आने वाला,
ख़ुद को भाग्यशाली बना लेता है…….

भूतनाथ के द्वार पे जो भी,
अपना शीष झुका लेता है,
चिन्ताओं की सारी लक़ीरें,
बाबा भूतनाथ मिटा देता है……..

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह