ऐसा दरबार कहाँ,
ऐसा दातार कहाँ,
ढूंढी सारी ये दुनिया,
ऐसी सरकार कहाँ ॥

मेरी ज़िन्दगी संवारी,
मुझे अपना बना के,
अहसान कर दिया है,
मुझको गले लगा के,
बाबा सारी दुनिया में,
तेरे जैसा प्यार कहाँ,
ढूंढी सारी ये दुनिया,
ऐसी सरकार कहाँ ॥

मेरी नजर के आगे,
हर काम हो रहा है,
तकलीफ मिट गई है,
आराम हो गया है,
बाबा सब काम करे,
यहाँ इनकार कहाँ,
ढूंढी सारी ये दुनिया,
ऐसी सरकार कहाँ ॥

सबकी है क्या जरुरत,
बस एक को मना लो,
भक्तो तुम अपना साथी,
भूतनाथ को बना लो,
और किसी की भी,
फिर दरकार कहाँ,
ढूंढी सारी ये दुनिया,
ऐसी सरकार कहाँ ॥

ऐसा दरबार कहाँ,
ऐसा दातार कहाँ,
ढूंढी सारी ये दुनिया,
ऐसी सरकार कहाँ ॥

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