सजा है श्री राम दरबार ,
राजा राम के राज्य-तिलक का ,आज है शुभ दिन वार॥

सिंहासन सियाराम बिराजै। तीनों भाई इत-उत साजै॥
चरणों में हनुमान खड़े हैं ,शोभा अपरम्पार।
सजा है……

गुरुवर तिलक राम को दीन्हां। माताओं ने आशीष दीन्हां॥
सुर-नर ,पुरूजन ,परजन जन-गण ,बोलें जय जयकार।
सजा है……

बाज रहे हैं अनहद बाजे। हर कोई झूमें हर कोई नाचे॥
कनक भवन मंगल-धुन बाजे ,हो रहा मंगलाचार।
सजा है……

राजा राम अवधपति राजे। यथा योग्य सब लोग नवाज़े॥
लूट मची है खूब ‘‘मधुप हरि’’ ,लूट रहा संसार।
सजा है…… ।

Author: सुप्रसिद्ध लेखक एवं संकीर्तनाचार्य श्री केवल कृष्ण ❛मधुप❜ (मधुप हरि जी महाराज) अमृतसर

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