भगवन आस लगाए कब से,
देखो बाट निहारे है ।
फसी है बीच भवर नईया,
भगवन तुमको पुकारे है ।।
दर दर ठोकर मैंने खाई,
दर दर जाकर ज्योत जलाई ।
अब तो सुन लो मेरी पुकार,
भगवन बाट निहारे है ।।
भगवन आस लगाए कब से ।
देखो बाट निहारे है ।।
मैं पापी मुझे देदो सहारा,
दूर बसनो से देदो किनारा ।
भगवन आस लगाए कब से,
देखो बाट निहारे है ।।
अब तो सुन लो मेरी पुकार,
भगवन बाट निहारे है ।
भगवन आस लगाए कब से,
देखो बाट निहारे है ।।
Author: ओमप्रकाश जी