श्री हरिदास
तरज़:-अल्ला ये अदा, कैसी है ईंधन हसींनों में
लाडली श्यामा जू, रखलो मुझे बरसानें में,
मन लगता ना, मेरा ज़मानें में,
लाडली…...
ये जो रिश्ते हैं, सब फन्दें है,
मोह माया में, सब अन्धें है,
क्या पाप लगेगा, भुल जानें में,
लाडली…...
तेरी किरपा से, बन्धंन छुटा है,
तेरी करूणा से, भ्रंम टुटा है,
आनंन्द मिलेगा, बरसानें में,
लाडली….
पागल ने ये, राज़ जाना है,
धसका नें ये, पहचाना है,
मोहन भी मिलेगा, बरसानें में,
लाडली….
Author: Unkonow Claim credit