सोच रही मन में समझ रही मन में,
थारो म्हारो न्याय होवे लो सत्संग में….

ओढ़ चुनार मैं तो गयी सत्संग में,
ओढ़ चुनार मैं तो गयी सत्संग में,
साँवरियो भिगोई म्हाने हरे-हरे रंग में….

साधारी संगत गुरासा बिराजे,
साधारी संगत गुरासा बिराजे,
कर-कर दर्शन होइ रे मगन मैं…..

साधारी संगत साँवरियो बिराजे,
साधारी संगत साँवरियो बिराजे,
गाय गाय हरी गुण होइ रे मगन मैं…..

साधारी संगत सहेलिया बिराजे,
साधारी संगत सहेलिया बिराजे,
गाय गाय हरी गुण होइ रे मगन मैं…..

बाई तो मीरा के, गिरधर नागर,
बाई तो मीरा के, गिरधर नागर,
भवजल पार करे, पल छीन में….

Author: Unkonow Claim credit

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