रे मन, राम सों करि हेत।
हरिभजन की बारि करिलै, उबरै तेरो खेत॥
मन सुवा, तन पींजरा, तिहि मांझ राखौ चेत।
काल फिरत बिलार तनु धरि, अब धरी तिहिं लेत॥
सकल विषय-विकार तजि तू उतरि सागर-सेत।
सूर, भजु गोविन्द-गुन तू गुर बताये देत॥

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह