खींचे खींचे रे दुशासन मेरो चीर अरज सुनो गिरधारी….

पांचो पांडव बैठे सभा में यह गत हुई हमारी,
दुष्ट दुशासन बेरी है गयो खींचे मेरी साड़ी,
आय के आय के रे बढ़ाओ मेरो चीर अरज सुनो गिरधारी,
खींचे खींचे रे दुशासन मेरो चीर अरज सुनो गिरधारी….

बाबा भीसम गुरु द्रोण और कृपा से बलशाली,
भरी सभा में सारे बैठे नीचे गर्दन डाली,
अब तो आओ रे बढ़ाओ मेरो चीर अरज सुनो गिरधारी,
खींचे खींचे रे दुशासन मेरो चीर अरज सुनो गिरधारी….

वह दिन याद करो मनमोहन उंगली कटी तुम्हारी,
मैंने अपने सर से मोहन फाड़ी आधी साड़ी,
अब तो आओ रे बढ़ाओ मेरो चीर अरज सुनो गिरधारी,
खींचे खींचे रे दुशासन मेरो चीर अरज सुनो गिरधारी….

राधा छोड़ी रुक्मण छोड़ी, छोड़ी गरुड़ सवारी,
द्वारका से नंगे पैरों आये कृष्ण मुरारी,
आके आके रे बढ़ावा वाको चीर अरज सुनो गिरधारी,
खींचे खींचे रे दुशासन मेरो चीर अरज सुनो गिरधारी….

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