पंछियों की आवाजे गूंजती है आंगन में,
मेरे श्याम आएंगे अबकी बार सावन में……
एक दुसरे का दुःख बाटता नही कोई,
सब यहाँ पे उलझे है अपनी अपनी उलझन में,
मेरे श्याम आएंगे अबकी बार सावन में,
पंछियों की आवाजे गूंजती है आंगन में……
जान से भी बढ़कर है उसको कैसे भुलू मै,
वो बसा है इस दिल की एक एक धड़कन में,
मेरे श्याम आएंगे अबकी बार सावन में,
पंछियों की आवाजे गूंजती है आंगन में……
जिस्म क्या जवानी क्या जिंदगी लुटा देंगे,
कोई हम को बांधे तो चाहतो के बंधन में,
मेरे श्याम आएंगे अबकी बार सावन में,
पंछियों की आवाजे गूंजती है आंगन में……
Author: Unkonow Claim credit