मन रे पासि हरि के चरन।

सुभग सीतल कमल- कोमल त्रिविध – ज्वाला- हरन।

जो चरन प्रह्मलाद परसे इंद्र- पद्वी- हान।।

जिन चरन ध्रुव अटल कींन्हों राखि अपनी सरन।

जिन चरन ब्राह्मांड मेंथ्यों नखसिखौ श्री भरन।।

जिन चरन प्रभु परस लनिहों तरी गौतम धरनि।

जिन चरन धरथो गोबरधन गरब- मधवा- हरन।।

दास मीरा लाल गिरधर आजम तारन तरन।।

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह