खेलिया आंगनमें छगन मगन किजिये कलेवा ।
छीके ते सारी दधी उपर तें कढी धरी पहीर ।
लेवूं झगुली फेंटा बाँधी लेऊं मेवा ॥१॥
गवालनके संग खेलन जाऊं खेलनके मीस भूषण ल्याऊं ।
कौन परी प्यारे ललन नीसदीनकी ठेवा ॥२॥
सूरदास मदनमोहन घरही खेलो प्यारे ।
ललन भंवरा चक डोर दे हो हंस चकोर परेवा ॥३॥

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह