हमसे छल कीनो काना नेनवा लगायके ॥ध्रु०॥
जमुनाजलमें जीपें गेंद डारी कालि नागनाथ लाये ।
इंद्रको गुमान हर्यो गोवरधन धारके ॥ह०॥१॥
मोर मुगुट बांधे काली कामरी खांदे ।
जमुनाजीमें ठाडो काना बासरी बजायके ॥ह०॥२॥
देवकीको जायो काना आधिरेन गोकुल आयो ।
जशोदा रमायो काना माखन खिलायके ॥ह०॥३॥
गोपि सब त्याग दिनी कुबजा संग प्रीत कीनि ।
सूर कहे प्रभु दरुशन दीजे मोरी व्रजमें आयके ॥ह०॥४॥

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह