कहो कैसे तेरी बन जाऊं रसिया,
बन जाऊं रसिया गुण गांव रसिया,
कहो कैसे तेरी बन जाऊं रसिया….

गुणवान नहीं धनवान नहीं,
कोई बड़ों जगत में मान नहीं,
फिर काहे तोहै रिझाऊं रसिया,
कहो कैसे तेरी बन जाऊं रसिया…..

कोई जप तप सैयम नियम नहीं,
मेरा गोपियों जैसा प्रेम नहीं,
फिर किस विध तोहै रिझाऊं रसिया,
कहो कैसे तेरी बन जाऊं रसिया…..

कोई ज्ञान भरा भंडार नहीं,
मेरा मीरा जैसा प्यार नहीं,
फिर कैसा प्यार दिखाऊं रसिया,
कहो कैसे तेरी बन जाऊं रसिया……

मेरे भीलनी जैसे बेर नहीं,
तेरे आने में तो देर नहीं,
फिर काहे से भोग लगाऊं रसिया,
कहो कैसे तेरी बन जाऊं रसिया…….

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