पलनवा गढ़ दे रे बढैईया
झूला झूलेगौ ललनवा

नाजूक नाजुक मेरौ ललनवा
सुनदर सा गढ़ देवो पलनवा
चंदन का लेयो लाकड़वा
झूला झूलेगौ ललनवा

रेशम का बनायो रसरवा
चांदी का लगायो घूंघुरवा
मखमल लेयो गददनवा
झूला झूलेगो ललनवा

बाजे ढ़ोल गाये है गितनवा
यसोदा के मुसकाये ललनवा
सखीयन के बोले पैजनवा
झूला झूलेगो ललनवा

ऐसौ सूंदर बनौ हैं पलनवा
नंद बाबा के भा गयो मनवा
खुस हो कौ लुटाऐ खजनवा
झुला झुलेगो ललनवा

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह