जबसे श्याम गलियों में,
यूँ मिल गए,
तो जिंदगी के मायने,
बदल गए,
तो जिंदगी के मायने,
बदल गए…….

धीरे से करीब मेरे आए,
बांसुरी से घूंघट उठाए,
टुकड़े टुकड़े मटकी के,
वो कर गए,
तो जिंदगी के मायने,
बदल गए,
तो जिंदगी के मायने,
बदल गए……

पास मेरे आकर वो बोले,
राधे क्यों नजरिया,
ना खोले,
लाज से नजरिया ना खोलूं,
नाही छेड़ कान्हा ना बोलूं,
भिखारन को ब्रज की,
रानी कर गए,
तो जिंदगी के मायने,
बदल गए,
तो जिंदगी के मायने,
बदल गए…….

Author: Unkonow Claim credit

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