भोरहि सहचरि कातर दिठि हेरि छल छल लोचन पानि ।
अनुखन राधा राधा रटइत आधा आधा बानि ।।
राधा सयँ जब पनितहि माधव, माधव सयँ जब राधा ।
दारुन प्रेम तबहि नहिं टूटत बाढ़त बिरह क बाधा ।।
दुहुँ दिसि दारु दहन जइसे दगधइ,आकुल कोट-परान ।
ऐसन बल्लभ हेरि सुधामुखि कबि विद्यापति भान ।।

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह