कन्हैया हालरू रे ।
गुढि गुढि ल्यायो बढई धरनी पर डोलाई बलि हालरू रे ॥१॥
इक लख मांगे बढै दुई नंद जु देहिं बलि हालरू रे ।
रत पटित बर पालनौ रेसम लागी डोर बलि हालरू रे ॥२॥
कबहुँक झूलै पालना कबहुँ नन्द की गोद बलि हालरू रे ।
झूलै सखी झुलावहीं सूरदास, बलि जाइ बलि हालरू रे ॥३॥

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह