फागुन का महीना मेरे रुकते नहीं है पांव,
चला रे चला रे मैं चला रे अपने सांवरिया के गांव…

श्रद्धा से जाऊंगा मैं करु ना दिखावा,
आया देखो आया मेरे बाबा का बुलावा,
खाटू की वो गलियां पीपल की ठंडी छांव,
फागुन का महीना…

रह रह के दिल मेरा श्याम श्याम बोले,
नैया भी खाने लगी अब हिचकोले,
आन संभालो बाबा हेै टूटी फूटी नांव,
फागुन का महीना…

आंखों के आंसुओं से चरण धूलाऊंगा,
दिल की ये बातें अपने शाम को सुनाऊंगा,
सागर कहे तेरी महिमा फैली है चारों दिशाओ,
फागुन का महीना…

Author: Unkonow Claim credit

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