मैंने तेरे ही भरोसे हनुमान सागर में नैया डार दई….

काहे की तूने नाव बनाई काहे की पतवार,
रामा काहे की लगा दई झंझीर, सागर में नैया डार दई,
राम नाम की नाव बनाई भक्ति की पतवार,
यामें ज्ञान की लगा दी जंजीर सागर में नैया डार दई…..

कौन सखिया बैठन हारी कौन है खेवनहार,
रामा कौन लगावे बेड़ा पार, सागर में नैया डार दई,
सीता माता बैठन हारी लक्ष्मण खेवनहार,
राहें राम लगावे बेड़ा पार सागर में नैया डार दई…..

तुलसी दास आश रघुवर की चरणों में बलिहार,
मेरे बालाजी को पूजे संसार सागर में नैया डार दई…..

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