ये संतों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी………
ये प्यासों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी
जो भी आए यहाँ कहीं से, हो जाएं दीवाना जी……..

ऐसा बरसे रंग यहाँ पर, जनम-जनम तक मन भीगे
फाल्गुन बिना चुनरिया भीगे, सावन बिना भवन भीगे
ऐसी बरखा होय यहाँ पर, बचे ना कोई घराना जी
ये प्यासों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी
ये संतों का प्रेम नगर है, यहाँ संभल कर आना जी,,,,,,,

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह