बौंल:-सच्चे पातशाहा, मेरी बक्शौ ख़ता

सतगुरू आवंणगें, फेरा पावंणगें घर मेरे,
नी मैं सदके जावा उस वेले,
सतगुरू आवंणगें…

नी मैं फुल्ला वाला आसन लावां,
ओत्थे सतगुरां नुं बिठावां,
जदों होंवणगें दयाल,
कर देंवंणगें निहाल,
सतगुरू मेरे,
नी मैं सदके जावां उस वेले,
सतगुरू आवंणगें, फेरा पावंणगें घर मेरे,
नी मैं सदके जावा उस वेले,
सतगुरू आवंणगें…

सुबह उठ के जपा नाम तेरा,
सफल जीवन हो जाये मेरा
तेरे दर्शंन करां हर वेले,
नी मैं सदके जावां उस वेले,
सतगुरू आवंणगें, फेरा पावंणगें घर मेरे,
नी मैं सदके जावा उस वेले,
सतगुरू आवंणगें…

नीत सतगुरू दर्शंन पांवा,
चरणं धुलीं मस्तक लावां,
होंणंगें दयाल सतगुरू मेरे,
नी मैं सदके जावा उस वेले,
सतगुरू आवंणगें, फेरा पावंणगें घर मेरे,
नी मैं सदके जावा उस वेले,
सतगुरू आवंणगें…

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह