प्रभु वाल्मीकि जी दुनिया दे वाली ऐ
बनाते है बिगड़ी दर आये जो सवाली है

प्रभु नाम वाला रंग जिहनू चढ़ जांदा है
नाम सिमर दा जो भी भव तर जांदा ऐ,
सिर हथ रखके करिए मेहर देया वाली ऐ
प्रभु वाल्मीकि जी दुनिया दे वाली ऐ

चरना च बह के तेरे अर्ज गुजारा मैं,
दिलो याद करके बाबा तेनु पुकारा मैं
रुल ना जावा किते मैं आप सवाली ऐ
प्रभु वाल्मीकि जी दुनिया दे वाली ऐ

सुबह शाम बाबा तेरा सिमरन कर दे ने
गुरु महराज सब दिया झोलिया भर दे ने
सेवा च लाये आशीष नु कर नजर दया वाली ऐ
प्रभु वाल्मीकि जी दुनिया दे वाली ऐ

Author: Unkonow Claim credit

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