मेरे सिर पर सिंगा जबरा
आरे वो सदा करत रहु मुजरा

जहाँज वान ने तुमको सुमरा
आरे वो डुबी जहाँज लई उबरा

अंतःकरण की तुम ही जाणो
आरे गुरू तुम कारण मे उबरा

झाबूआ देश भादरसिंग राजा
आरे गुरू उसने तुमको सुमरा

देव श्री की मोटी महीमा
आरे वो मेला भरीयाँ गेहरा

कुवार महिना पुरण मासी
आरे वहा मेला भरीयाँ गेहरा

कहे जण दल्लू सुणो भाई साधू
आरे गुरू राखो चरण के हजरा

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