चारे पासे धूम मची है खुशिया दा वेला है
मेला है मेला है वैसाखी दा ये मेला है……

भगत प्यारे मेला वेखन आये दर ते तेरे जी,
रेहमत करदी सतगुरा ने नाम बड़ा अलबेला जी,
मेला वेखन आया हर कोई नाल गुरु दे चेला है,
मेला है मेला है वैसाखी दा ये मेला है……

मंदिर सोने खूब सजे है लगियाँ रौनका भरी,
नचन गावन भगत जैकारे लावन बारो बारी,
मेला है मेला है वैसाखी दा ये मेला है……

दासन दास चरणा विच तेरे शीश झुकावे,
हरपल है गुण गान करदा दर ते आवे,
लंगर चलदे दिन राति ना लगे पैसा तेला है,
मेला है मेला है वैसाखी दा ये मेला है……

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह