मैं सूती रेह गई जी गूर जी मैं करमा दी मारी
कोई वपारी भेज देयो जिस नु नींद वेचदा सारी,
मैं सूती रेह गई जी गूर जी मैं करमा दी मारी

एह सिमरन ते बैन न देवे
नाम तुहाडा लैना न देवे मैं सोच सोच के हारी
मैं सूती रेह गई जी गूर जी मैं करमा दी मारी

आखन वेले सूबाअ सवेरे
एह अखा विच रेह्न्दी मेरे बन गई वैरण भारी
मैं सूती रेह गई जी गूर जी मैं करमा दी मारी

हर वेले मैं एहो चाहवा
जद वी तेरा दर्शन पावा सूरत वसदे प्यारी
मैं सूती रेह गई जी गूर जी मैं करमा दी मारी

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