मैं सूती रेह गई जी गुरु जी मैं करमा दी मारी,
कोई व्यपारी भेज देयो जिस नु नींद वेच दा सारी,
मैं सूती रेह गई जी गुरु जी मैं करमा दी मारी,

एस मरन ते बेहन न देवे नाम तुहाडा लैना न देवे
सोच सोच के हारी मैं सूती रेह गई जी गुरु जी मैं करमा दी मारी,

आथन वेले सुबह सवेरे एह अखियाँ विच रेह्न्दी मेरे वन गई वैरण भारी,
मैं सूती रेह गई जी गुरु जी मैं करमा दी मारी,

रोशन रेह्पे वाला केह्न्दा नाम जपा मैं उठदा बैह्न्दा तू नजर मेहर दी मारी
मैं सूती रेह गई जी गुरु जी मैं करमा दी मारी,

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह