लाखो चाँद खिले हो जैसे मुख है तुम्हरा शीतल ऐसे जाऊ मैं बलिहारी,
हे विमर्श गुरु राज मैं देखे जाऊ छवि तुम्हारी,

मिश्री जैसी मीठी बोली बाते प्यारी प्यारी,
हे विमर्श गुरु राज मैं देखे जाऊ छवि तुम्हारी,

मंद मंद मुस्कान तुम्हारी है गुरु वर पहचान तुम्हारी,
नैनो से करुणा रस छलके मन की मिटा दो तृष्णा सारी,
तुक तुक तुम्हे निहार रहे है जग के सब नर नारी,
हे विमर्श गुरु राज मैं देखे जाऊ छवि तुम्हारी,

आप की संगत संगत रब की बाकी बाते झूठी सबकी,
आप से मन की बाते जब की बात समज आई मतलब की,
आप ये बोले सिर पे न रखना पाप गठरियाँ भारी,
हे विमर्श गुरु राज मैं देखे जाऊ छवि तुम्हारी,

धुप जगत हो तुम हो छइयां पार करा तो तुम ही नाइयाँ,
माया के पथ पे पीसले तो आ के पकड़ लो गे तुम बइयाँ,
कर दिया मुझे इशारा तुम्हने तुम को मेरे हित कारी
हे विमर्श गुरु राज मैं देखे जाऊ छवि तुम्हारी,

Author: Unkonow Claim credit

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