तुम झोली भरलो भक्तो रंगो और गुलाल से,
होली खेलेगे परमहंस दयाल से….

नीले पीले लाल गुलाबी रंग है सारे लाये,
मुझ पर तो ऐसा रंग डालो जो तुमको है भाऐ,
तन मन को रंग दो प्रीतम पावन गुलाल से,
होली खेलेगे परमहंस दयाल से….

धूम मचाते नाचते गाते प्रेमी सारे आए,
भर पिचकारी सतगुरु मारी प्रेम का रंग चढ़ाऐ,
रंग डालो खुद को प्रेमी इनके जमाल से,
होली खेलेगे परमहंस दयाल से….

भोला भाला मुखड़ा तेरा सुंदर रूप है प्यारा,
सुद्ध बुद्ध अपनी भूल गया मैंने जब देखा ये नजारा,
दिल को लूभाऐ प्रीतम मतवाली चाल से,
होली खेलेगे परमहंस दयाल से….

Author: Unkonow Claim credit

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