अपने अंतरमन में,
गुरु का सुमिरन कर ले,
फिर सँवर जाएगी,
ये तेरी जिन्दगी।।
ध्यान चरणों में गुरु के,
लगाते रहो,
सेवा करते रहो,
किरपा पाते रहो,
हर लेंगे अज्ञान तेरा,
प्रकाश ज्ञान की भर देंगे,
फिर सँवर जाएगी,
ये तेरी जिन्दगी।।
चाहो मुक्ति तो सद्गुरु,
बना लीजिए,
गुरु से आज्ञा ले जीवन में,
काम कीजिए,
जन्म-मरण के बंधन से,
छुटकारा दिलवायेंगे,
फिर सँवर जाएगी,
ये तेरी जिन्दगी।।
जाने किस पुण्य से ये,
नर तन मिला,
गुरु की कृपा से उजड़ा,
चमन ये खिला,
“परशुराम”तू सौंप गुरु को,
जीवन की पतवार को,
फिर सँवर जाएगी,
ये तेरी जिन्दगी।।
अपने अंतरमन में,
गुरु का सुमिरन कर ले,
फिर सँवर जाएगी,
ये तेरी जिन्दगी।।
Author: Unkonow Claim credit