गुरु आये रे बरसे फुहार अब गुरु आयो रे

दिव्य दिव्य ध्वनि झरे, धर्म ज्ञान आये
हाँ रे आगम बताये, हाँ रे आगम बताये।

हर मन में गुरुवाणी गूंजे रे हो

चौमासा जहाँ करे, मेला लग जाये
मुनिवर के रूप में, जिनवर घर आये
चौका लगाके आओ आहार करवाये
गुरुवर की भक्ति में आओ हम रम जाए
नाचे ये धरती गगन गाये रे

श्रीफल चढ़ाके आओ उत्सव मनाये
गुरुवर की भक्ति का पुण्य कमाये
गुरु के चरण का आज गंधोधक लगाए
करके पूजा भक्ति गुरु का ही गुण गाये
नाचे ये धरती गगन गाये रे

गुरु आये रे बरसे फुहार अब गुरु आये रे

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