दर पे बुला लिया गुरु जी दर पे बुला लिया,
अपना बना लिया गुरु जी अपना बना लिया,
जन्म जन्म की दुरी को इक पल में मिटा दियां,
दर पे बुला लिया गुरु जी दर पे बुला लिया,

दर्शन की आस थी मुझे मिलने की प्यास थी,
भटके हुए राही को रस्ता दिखा दियां,
दर पे बुला लिया गुरु जी दर पे बुला लिया,

मैं तो नहीं था काबिल तेरे दर पर आ सकू,
रेहमत का दरया आप ने ऐसा बहा दियां,
दर पे बुला लिया गुरु जी दर पे बुला लिया,

तेरे चरणों में है जन्नत तेरे चरणों में है मुक्ती,
मोह माया के बंधन से मुझको छुड़ा लिया,
दर पे बुला लिया गुरु जी दर पे बुला लिया,

मेरी विनती सुनी गुरु जी बड़ी मेहरबानी की,
सुखी से जीवन में सावन सा ला दियां,
दर पे बुला लिया गुरु जी दर पे बुला लिया,

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