आजो चलिये जी गुरा दे दुआरे जी गड़ी चली कांशी शहर नु,
जीने लेने ओहदे नाम दे हुलारे जी गड्डी चली कांशी शहर नु,
आजो चलिये जी गुरा दे दुआरे…….

भागा वाले लोक जेह्ड़े गडी विच वेह गये,
कई ता विचारे बस सोचदे ही रह गये,
कम कार साड़े गुरा दे सहारे गड्डी चली कांशी शहर नु,
आजो चलिये जी गुरा दे दुआरे…….

खडके स्टेशना ते करदे त्यारियां,
ख़ुशी विच नच दियां संगता ने सारियां,
उची उची देखो लौंदे ने जय कारे गड्डी चली कांशी शहर नु,
आजो चलिये जी गुरा दे दुआरे…….

रहिये वाले रोशन की सोचदा विचार दा,
सतगुरु कांशी वाला सब नु है तार दा,
ओहदे नाम वाले लुट लो नजारे गड्डी चली कांशी शहर नु,
आजो चलिये जी गुरा दे दुआरे…….

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह