मुझे अम्बे मैया ने बुलाया चली मै माँ के दर को चली,
चली मै माँ के दर को चली, चली मै माँ के दर को चली,
मेरी माँ का सन्देशा आया चली मै माँ के दर को चली,
मुझे अम्बे मैया ने बुलाया……..

ऊँचे पर्वत माँ का द्वारा, भक्तो के जीवन का जो सहारा,
मेरे बार बार सपनोे में आया चली मै माँ के दर को चली,
मुझे अम्बे मैया ने बुलाया……..

चरणों में मैया के जांऊ बलिहारी, भक्तो के रक्षक सकंटहारी,
माँ के चरणों ने दीवाना बनाया चली मै माँ के दर को चली,
मुझे अम्बे मैया ने बुलाया……..

बाँवरी होई कमली होई, प्रेम दीवानी पगली होई,
माँ की विराह ने इतना सताया चली मै माँ के दर को चली,
मुझे अम्बे मैया ने बुलाया……..

मन मेरे की यही अभिलाषा, हर दम तेरे दर्शन की आशा,
मेरा जग से जी भर आया चली मै माँ के दर को चली,
मुझे अम्बे मैया ने बुलाया……..

Author: Unkonow Claim credit

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