सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, कोई तेरा पार ना पाया टेक।
पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले तेरी भेट चढ़ाया।।
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी।।
साड़ी चोली तेरी अंग विराजे, केसर तिलक लगाया।
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी।।
नंगे पग माँ अकबर आया, सोने का छत्र चढ़ाया।
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी।।
उँचे पर्वत बन्यो देवालय, नीचे शहर बसाया।
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी।।
सतयुग, द्वापर, त्रेता मध्ये, कलयुग राज सवाया।
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी।।
धूप दीप नैवेद्य आरती, मोहन भोग लगाया।
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