आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्यौछावर कीजै॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै, हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै।

रवि शशि कोटि बदन की शोभा, ताहि निरखि मेरो मन लोभा।
ओढ़े नील पीत पट सारी, कुन्जबिहारी गिरिवरधारी।

फूलन की सेज फूलन की माला, रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला।
कंचन थाल कपूर की बाती, हरि आये निर्मल भई छाती।

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी, आरती करें सकल ब्रजनारी।
नन्दनन्दन बृजभान किशोरी, परमानन्द स्वामी अविचल जोरी।

Author: Unkonow Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती

संग्रह