कामदा एकादशी Date: Sunday, 29 Mar 2026

चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं।

कथा : प्राचीन समय में पुण्डरीक नामक एक राजा नागलोक में राज्य करता था। उसका दरबार किन्नरों व गंधर्वों से भरा रहता था। एक दिन गन्धर्व ललित दरबार में गान कर रहा था कि अचानक उसे अपनी पत्नी की याद आ गई। इससे उसका स्वर, लय एवं ताल बिगड़ने लगे। इस त्रुटि को कर्कट नामक नाग ने जान लिया और यह बात राजा को बता दी। राजा को ललित पर बड़ा क्रोध आया। राजा ने ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया। ललित सहस्रों वर्ष तक राक्षस योनि में अनेक लोकों में घूमता रहा। उसकी पत्नी भी उसी का अनुकरण करती रही।

अपने पति को इस हालत में देखकर वह बड़ी दुःखी होती। एक दिन घूमते-घूमते ललित की पत्नी ललिता विन्ध्य पर्वत पर रहनेवाले ऋष्यमूक ऋषि के पास गई और अपने पित पति के उद्धार का उपाय पूछने लगी। ऋषि को उन पर दया आ गई। उन्होंने चैत्र शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी व्रत करने का आदेश दिया। एकादशी व्रत के प्रभाव से इनका श्राप मिट गया और अपने गंधर्व स्वरूप को प्राप्त हो गए।

इस व्रत की कथा को सुनकर हमें ज्ञात होता है कि कभी कभी छोटी-छोटी भूलों की बहुत बड़ी सजा मिलती है। ऐसे में यदि हम साहस व धैर्य से काम लें तो उन पर विजय पाई जा सकती है।

Comments

आगामी उपवास और त्यौहार

शनि जयंती

Tuesday, 27 May 2025

शनि जयंती